What Is Audience Research ? Why it is done? ऑडियंस रिसर्च क्या है? यह क्यों किया जाता है?

0

What Is Audience Research ? Why it is done?
ऑडियंस रिसर्च क्या है? यह क्यों किया जाता है?



Audience research is very helpful to decide about the fate of content regarding each and every medium. With the help of proper audience research, the researcher can help the content creator to frame the appropriate message. Audience research gives the proper insight about target audience. It gives detailed knowledge about reader in regard with newspaper. Listener in relation with radio. Viewers in respect to television channel. In this list we can also mention netizens in case of internet user. Audience is integral part of mass media platform the success, failure and controversy of programme is depended upon audience. Audience is someone who has the power to give blockbuster. 

जब भी दर्शक, श्रोता, पाठक के बारे में जानने के लिए कोई शोध किया जाता है तो उसे ऑडियंस रिसर्च करते हैं। ग़ौरतलब है कि दर्शक टेलिविज़न के संदर्भ में देखने वालों पर शोध किया जाता है। श्रोता का संबंध रेडियो और पॉडकास्टिंग जैसे माध्यमों के लिए प्रयुक्त होता है। पाठक का सम्बंध अख़बारों से है। ऑडियंस रिसर्च का मतलब एक तरह से दर्शकों का दिमाग़ पढ़ने जैसा हैं। दिमाग़ पढ़ने का मतलब यह है कि वह कैसे निर्णय लेता है। शोधकर्ता यह भी पता करना चाहता है कि किस तरह के कार्यक्रम सफल होंगे।असफलता से अगर बचना है तो वह कैसे मुमकिन है। कुल मिलाकर ऑडियंस रिसर्च एक तरह से लाइट हाउस के रूप में काम करता है जिससे मीडिया के लिए विषय वस्तु बनाने वाले को पूरी जानकारी हासिल होती है कि वह क्या बनाएँ कब बनाए किस  माध्यम के लिए बनाये। 


The mood and response of the audience is very important to judge the prospect of content related to below field. 
दर्शकों की मनोदशा और प्रतिक्रिया इन क्षेत्रों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

  • Tv programme टीवी प्रोग्राम 
  • Radio Programme रेडियो प्रोग्राम 
  • News न्यूज़ 
  • Film फ़िल्म 
  • Advertisement एडवर्टिजमेंट 
  • PR fields पीआर क्षेत्र 
  • Public Message पब्लिक मेसेज 

Audience research refers to the systematic and well coordinated gathering, analysis and development of information about a specific target viewers, readers, listeners and netizens. It is done to get a better knowledge and understanding of the characteristics, preferences, behaviors, decision, choice and needs of the audience. The purpose of this is to take informed decisions about various angles related to content creation, communication, marketing, and product development.

ऑडियंस रिसर्च दर्शकों, पाठकों, श्रोताओं और नेटिज़न्स के बारे में जानकारी देता है। यह दर्शकों की विशेषताओं, वरीयताओं, व्यवहारों, निर्णय, पसंद और जरूरतों के बारे में बेहतर ज्ञान और समझ प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इसका उद्देश्य सामग्री निर्माण, संचार, विपणन और उत्पाद विकास से संबंधित विभिन्न कोणों के बारे में सोच-समझ कर निर्णय लेना है।


The purpose of audience research is presented below-
ऑडियंस रिसर्च का उद्देश नीचे विस्तार से दिया गया है-

  • To draw the audience दर्शकों को आकर्षित करने के लिए
  • To retain the audience दर्शकों को बनाए रखने के लिए
  • To increase audience engagement दर्शकों की संलिप्ता बढ़ाने के लिए
  • For selection of language भाषा के चयन के लिए
  • To present of correct narrative सही आख्यान प्रस्तुत करने के लिए
  • For increasing and decreasing of subscription rate सदस्यता दर बढ़ाने और घटाने के लिए
  • To enlarge area of reach पहुंच के क्षेत्र का विस्तार करने के लिए  
  • To grow audience दर्शकों को बढ़ाने के लिए
  • For satisfying audience दर्शकों को संतुष्ट करने के लिए
  • In crisis management संकट प्रबंधन में
  • To judge success and failure of message संदेश की सफलता और असफलता का न्याय करने के लिए
  • For beating competition प्रतियोगिता में बने रहने के लिए
  • To grow brand image ब्रांड छवि विकसित करने के लिए

To draw the audience 
दर्शकों को आकर्षित करने के लिए


The basic requirement of the mass communication is audience. When there is no audience, then there will be neither inspiration nor business for making the programme. Various measures can be taken to attract the audience. Surveying the audience can be done to find out what they are attracted to. What kind of content they want to see? What kind of headline want to see in the programme. Adequate information can be obtained by conducting surveys on many such audiences.

जन संचार की एक आधारभूत ज़रूरत है कि उसे दर्शक मिले। दर्शकों का मिलना किसी भी कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए ज़रूरी है। जब तब दर्शक नहीं मिलते हैं तो ऐसी स्थिति में कार्यक्रम निर्माण के लिए तो प्रेरणा मिलेगा ही व्यापार होगा। दर्शकों को आकर्षित करने के लिए कई तरह के उपाय किए जा सकते। दर्शकों पर सर्वे करके यह पता किया जा सकता है कि वे किस बात पर आकर्षित होते हैं। किस तरह के कंटेंट देखना चाहते हैं। किस तरह के हेडलाइन रखे जाने पर ज़रूर कार्यक्रम से जुड़ेंगे। इस तरह के कई सारे दर्शकों के ऊपर सर्वे करके पर्याप्त जानकारी हासिल की जा सकती है।



To retain the audience 
दर्शकों को बनाए रखने के लिए


Once the audience is hooked to the show, the other challenge is how to retain them with the show. The need is that the viewers who engage with the program stay with the program till the end. This is the basis of the success of the programme. It is a challenge to keep the audience with the show till the end. Various measures have to be taken for this. The program has to be made meaningful. One has to take full care of the entertainment of the connected audience. Because of all these, the viewers stay with the show till the end. Various experiment take place from time to time to keep the viewers engaged with the programme.

एक बार जब दर्शक कार्यक्रम से जुड़े जाते हैं तो जो दूसरी चुनौती है कि उसे कैसे कार्यक्रम के साथ बनाया रखा जा सकता है। ज़रूरत यह है कि जो दर्शक कार्यक्रम से जुड़े वह अंत तक कार्यक्रम के साथ बने रहे। यही कार्यक्रम का सफलता का आधार है।    दर्शकों को अंत तक कार्यक्रम के साथ बनाए रखना एक चुनौती है। इसके लिए बहुत तरह के उपाय करने होते हैं।कार्यक्रम को सार्थक बनाना पड़ता है। जुड़े हुए दर्शकों के मनोरंजन का पूरा ख्याल रखना होता है। इन्ही सबकी वजह से दर्शक अंत तक कार्यक्रम के साथ बने रहते हैं। कार्यक्रम के साथ दर्शकों को जोड़े रखने के लिए कई परीक्षण समय- समय पर होते रहते हैं।



To increase audience engagement 
दर्शकों की संलिप्ता बढ़ाने के लिए


The success of the program is also determined by the audience's engagement with the program. Audience engagement, especially on digital media, becomes vital to the success of the programme. Audience engagement is measured by the response they express, expressing their views on it, liking, commenting. Various types of experiments are also done to increase the involvement of the audience, such as the announcement of the award during the program, trying to push the program through live phone and message, all these are many ways by which the involvement of the audience is increased in the program. In the present times, more availability of mediums increases the competition. In such a situation, how to connect the audience with the program is no less than a challenge.

कार्यक्रम की सफलता इससे भी तय होती है कि दर्शकों की संलिप्ता कार्यक्रम के साथ कितनी रही। ख़ासकर की डिजिटल मीडिया पर दर्शकों की संलिप्तता कार्यक्रम की सफलता के लिए ज़रूरी हो जाती है। दर्शकों की संलिप्तता का अंदाज़ा उनके द्वारा व्यक्त प्रतिक्रिया, कार्यक्रम को पसंद करना, उसपर अपने विचार व्यक्त करना, लाइक करना, कॉमेंट करने के द्वारा तय हो जाती है। दर्शकों की संलिप्तता बढ़ाने के लिए कई तरह के प्रयोग भी किए जाते हैं जैसे कि कार्यक्रम के दौरान पुरस्कार की घोषणा, लाइव फ़ोन और मैसेज के द्वारा कार्यक्रम को आगे बढ़ाने की कोशिश, यह सब जैसे कई उपाय है जिसके द्वारा दर्शकों की संलिप्तता कार्यक्रम में बढ़ायी जाती है। वर्तमान समय में माध्यमों की ज़्यादा उपलब्धता, प्रतिस्पर्धा को बढ़ाता है। ऐसे में दर्शकों को कैसे कार्यक्रम के साथ जोड़ा जाए यह किसी चुनौती से कम नहीं है।  


For selection of language 
भाषा के चयन के लिए

Correct selection of language in mass media program becomes very important if the program is to be successful. Choosing the right language can make the program famous. People will like the program, associate with it and the program will be successful in its objective. Choosing the right language is also helpful in taking the program to the masses. Therefore it becomes very important that the correct selection of language is done in the program.

मास मीडिया के कार्यक्रम में भाषा का सही चयन बहुत ज़रूरी हो जाता है अगर कार्यक्रम को सफल बनाना है तो। सही भाषा का चयन कार्यक्रम को प्रसिद्ध बना सकता है। लोग कार्यक्रम को पसंद करेंगे उसके साथ जुड़ेंगे और कार्यक्रम अपने उद्देश्य में सफल होगा। सही भाषा का चयन कार्यक्रम को जन-जन तक पहुँचाने में भी सहायक है। इसलिए बहुत ज़रूरी हो जाता है कि भाषा का सही चयन कार्यक्रम में किया गया है।  


To present of correct narrative 
सही आख्यान प्रस्तुत करने के लिए

By researching the audience, the producer can find out the pain, stories, struggle related to their life. On the basis of which he can decide the outline of the programme. Once the outline of the program is decided correctly and balanced, then later it will also be helpful in connecting with the audience. Viewers will see their plot in the show and will be satisfied. It is very important that we make programs that relate to the lives of the audience. Shows their everyday struggle. Also the story that serves as inspiration for them.

दर्शकों पर शोध कर के उनके जीवन से जुड़ी हुई दर्द, कहानियां, संघर्ष का निर्माता पता कर सकता है। जिसके आधार पर वह कार्यक्रम की रूपरेखा तय कर सकता है। एक बार कार्यक्रम की रूपरेखा सही और संतुलित रूप से तय हो जाती है तो आगे चलकर यह भी दर्शकों से जुड़ने में मददगार होगी। दर्शक कार्यक्रम में अपने कथानक को देखेंगे और संतुष्ट भी होंगे। बहुत  ज़रूरी है कि हम वही कार्यक्रम बनाए जो कि दर्शकों के जीवन से जुड़ा है। उनकी रोज़मर्रा के संघर्ष को दिखाता है। साथ ही वह कहानी जो उनके लिए प्रेरणा का काम करता है। 


For increasing and decreasing of subscription rate 
सदस्यता दर बढ़ाने और घटाने के लिए


Currently there is a plurality of mediums. Many of these are mediums for which monthly basis payment is there. For newspapers,  OTT channels and many paid channels their fee is fixed. If someone wants to increase or reduce the  subscription price then it is a very complicated decision. Due to the increased cost, many existing subscribers may not continue with the channel and many new subscribers may also not join the channel. The disadvantage of reducing the price can be that it can harm the brand image. A correct and balanced decision can be taken only by conducting a survey on the audience so that the effect of increase or decrease in price can be minimised.

वर्तमान में माध्यमों की बहुलता है। इसमें से कई ऐसे माध्यम है जिन का मासिक स्तर पर भुगतान करना पड़ता है। जैसा कि अख़बार, ओटीटी/OTT चैनल, कई पेड चैनल, हर महीने या 3 महीने या फिर सालाना इनका शुल्क निर्धारित है। ऐसे में अगर कोई चाहता है कि वह अपना मूल बढ़ाए या फिर मूल्य घटाए तो यह काफ़ी जटिल फ़ैसला है। हो सकता है कि बढ़े हुए मूल्य के कारण कई वर्तमान सब्सक्राइबर आगे चैनल के साथ रहे और कई नई सब्सक्राइबर भी चैनल के साथ जुड़ें। मूल्य घटाने का नुक़सान यह हो सकता है जो ब्रांड इमेज है उसको हानि पहुँचा सकता है। दर्शकों के ऊपर सर्वे करके ही सही और संतुलित तरीक़े से निर्णय लिया जा सकता है जिससे कि बढ़े या घटे मूल्य का असर कम से कम किया जा सके।


To enlarge area of reach 
क्षेत्र का विस्तार करने के लिए

The popularity of the program ultimately translates into the popularity of the channel. Once a channel becomes popular, then its potential increases in other regions as well. In this way, expansion of the channel is also possible in new areas through popular programs. Viewership surveys can be used to outline popular programs and thereby expand the channel to new territories. The advantage of reaching new territories is that the channel will now get new viewers, which will increase its profits.

कार्यक्रम की लोकप्रियता ही अंततोगत्वा चैनल की लोकप्रियता में तब्दील होती है। एक बार जब चैनल लोकप्रिय हो जाता है तो फिर दूसरे क्षेत्र में भी उसकी संभावना बढ़ जाती है। इस तरह से लोकप्रिय कार्यक्रम के द्वारा चैनल का विस्तार नए क्षेत्रों में भी संभव है। दर्शकों पर सर्वे करके ही लोकप्रिय कार्यक्रम की रूपरेखा बनायी जा सकती है और इसके द्वारा चैनल का विस्तार नए क्षेत्रों तक किया जा सकता है। नए क्षेत्र तक पहुँचने का फ़ायदा यह भी है कि चैनल को अब नये दर्शक मिल जाएंगे जिससे उसकी मुनाफ़ा में भी इज़ाफ़ा होगा। 


To grow audience 
दर्शकों को बढ़ाने के लिए

Growing an audience is not an easy task. The audience can be increased only by doing good work continuously. The steady growth in viewership is good for both the show and the channel. Due to the increase in the audience, confidence also comes in the mind of the program producer, so that he comes in front of the audience with new programs. The audience's mood-mind should be probed through a survey and the program should be made on the basis of that, so that they like the program and stay connected with the channel.

दर्शकों को बढ़ाना कोई आसान काम नहीं है। लगातार अच्छे काम कर के ही दर्शकों को बढ़ाया जा सकता है। दर्शकों का लगातार बढ़ते जाना कार्यक्रम और चैनल दोनों के लिए अच्छा है। दर्शकों के बढ़ने के कारण कार्यक्रम निर्माता के मन में आत्मविश्वास भी आता है जिससे कि वह नए-नए कार्यक्रम लेकर दर्शकों  के सामने आता है। दर्शकों के मन-मस्तिष्क का सर्वे के द्वारा टटोला जाए और कार्यक्रम को उसी के आधार पर बनाया जाए जिससे कि कार्यक्रम उनको पसंद आए और वह चैनल के साथ जुड़े रहे। 


For satisfying audience 
दर्शकों को संतुष्ट करने के लिए

It is not that easy to satisfy the audience. The audience can be satisfied only by presenting the program in a fairly balanced manner. All types of spices have to be taken care of in the program. In which emotion, entertainment as well as knowledge and information have to be shown correctly. It is not an easy task to find out how the audience will be satisfied and what they will be dissatisfied with. Only by surveying them, it can be assessed that on what point they will be satisfied, applaud, enjoy the program and on what point they will be dissatisfied and leave the program midway and shift to another channel. Once all these things are known, then on the basis of that the program can be prepared and such a program can be prepared, after watching which the audience will be more and more satisfied and their loyalty will remain towards the channel.

दर्शकों को संतुष्ट करना इतना भी आसान नहीं है। कार्यक्रम को काफ़ी संतुलित तरीक़े से पेश कर कर ही दर्शकों को संतुष्ट किया जा सकता है। कार्यक्रम में हर तरह के मसालों का पूरा ख्याल रखना होता है। जिसमें भावना, मनोरंजन के साथ ही ज्ञान और सूचना भी सही रूप से दिखाना होता है। दर्शक किस बात से संतुष्ट होंगे और किस बात पे असंतुष्ट होंगे यह पता करना आसान काम नहीं है। केवल उनके ऊपर सर्वे करके इस बात का आकलन किया जा सकता है कि वह किस बात पर संतुष्ट होंगे, तालियां बजाएंगे, कार्यक्रम का लुत्फ़ उठाएंगे और किस बात पर वह असंतुष्ट होंगे और कार्यक्रम बीच में छोड़कर दूसरे चैनल पर शिफ़्ट कर जाएंगे। जब एक बार इस सारे चीज़ का पता चल जाएगा तो उसके आधार पर ही कार्यक्रम का निर्माण कर के एक ऐसे कार्यक्रम को तैयार किया जा सकता है जिसे देखने के बाद दर्शक ज़्यादा से ज़्यादा संतुष्ट हो पाएंगे और उनकी निष्ठा चैनल के प्रति बनी रहेगी। 


In crisis management 
संकट प्रबंधन में


When mass media works for a long time, sometimes it happens that something goes wrong. In such a situation, how to stop it becomes very important. There are many ways to prevent negativity. If it is not stopped in time, it will defame the channel as well as the people working there. This whole process is called crisis management. Audience understanding is very beneficial in crisis management. The better understanding of the audience, the better and more effective the crisis management can be. Through audience survey, the confusion, thinking, message spread in the audience can be investigated and its nature can also be known. Based on that, crisis management can be done effectively.

कोई जनसंचार माध्यम लंबे समय तक काम करता है तो कभी-कभी ऐसा होता है कि कुछ गड़बड़ी हो जाए। ऐसे स्थिति में उसको कैसे रोका जाए यह बहुत ज़रूरी हो जाता है। नकारात्मकता को रोकने के कई सारे उपाय करने होते हैं। अगर समय से इसे नहीं रोका गया तो यह चैनल के साथ ही वहाँ काम करने वालों को भी बदनाम करेगा। इस सारी प्रक्रिया को ही संकट प्रबंधन कहते हैं।संकट प्रबंधन में ऑडियंस की समझ काफ़ी लाभदायक होती है। ऑडियंस की समझ जितनी अच्छी होगी संकट प्रबंधन उतना अच्छा और कारगर तरीक़े से किया जा सकेगा। ऑडियो सर्वे के द्वारा ऑडियंस में फैले भ्रम, सोच, संदेश की पड़ताल की जा सकती है और उसकी प्रकृति कैसी है यह भी जाना जा सकता है। उसके आधार पर संकट प्रबंधन को कारगर तरीक़े से किया जा सकता है। 


To judge success and failure of message 
संदेश की सफलता और असफलता का न्याय करने के लिए

The success and failure of the message matter a lot to the program maker. When the message has been disseminated or propagated by the government through various mediums, it becomes very important to know whether the thought with which the message was propagated has been successful or not. It is not that the message was being given thinking something else and the result is happening something else. By conducting a survey on the public, it can be found out whether they have received the message and if so, what they think about that message. In this way, the failure-success of the message can be ascertained by surveying the audience.

संदेश की सफलता और असफलता कार्यक्रम निर्माता के लिए बहुत मायने रखता है। जब संदेश सरकार के द्वारा विभिन्न माध्यमों के द्वारा प्रसारित किया गया हो या फिर प्रचारित किया गया हो तो यह जानना काफ़ी ज़रूरी बन पड़ता है कि जिस सोच के साथ संदेश प्रचारित-प्रसारित किया गया था वह सब सफल रहा है या नहीं। ऐसा तो नहीं है की संदेश कुछ और सोच कर दिया जा रहा था और परिणाम कुछ और हो रहा है। जनता के ऊपर सर्वे करके यह पता किया जा सकता है क्या उन्हें मैसेज प्राप्त हुआ और अगर हुआ तो वह उस संदेश के बारे में क्या सोचते हैं। इस तरह से दर्शकों के ऊपर सर्वे करके संदेश की असफलता-सफलता का पता किया जा सकता है। 


For beating competition 
प्रतियोगिता में बने रहने के लिए

Due to the multiplicity of mediums, there is fierce competition at present. There is a lot of competition in all the fields like news papers, channels, digital platforms. To survive in this competition as well as to do well, there is an increased dependence on the audience. By conducting a survey on the audience, their likes and dislikes can be known, and by using all this information, not only can they remain in the competition, but they can also get top-notch status. All this will be possible only by doing research on the audience.

माध्यमों की बहुलता के कारण कि वर्तमान में गलाकाट प्रतिस्पर्धा है। न्यूज़ पेपर, चैनल, डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म सब क्षेत्रों में अत्याधिक प्रतिस्पर्धा है। इस प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए साथ ही साथ अच्छा करने के लिए दर्शकों के ऊपर निर्भरता बढ़ जाती है। ऑडियंस के ऊपर सर्वे करके उनके पसंद-नापसंद उनके चाहत को जाना जा सकता है और इन सब जानकारियों का उपयोग करके प्रतियोगिता में सिर्फ़ बना रहा जा सकता है बल्कि उस में अव्वल दर्जे दर्जा भी प्राप्त किया जा सकता है। यह सब कुछ दर्शकों के ऊपर रिसर्च कर के ही संभव हो सकेगा। 


To grow brand image 
ब्रांड छवि विकसित करने के लिए

The development of any organization in the form of a brand is in a way very beneficial for that organization. Once an organization takes the shape of a brand, it does not have to think about credibility, nor does it have to worry about its audience. Whenever there is an event, he will come on the first choice. Having a brand says a lot in itself. Becoming a brand is not such an easy task. For that he has to stay in the field for a long time. Only then the brand image is achieved. Audience plays a vital role in building a brand. If we say that the dream of becoming a brand is decided by the way of the audience, then there is nothing wrong. 

ब्रांड के रूप में किसी भी संस्था का विकास एक तरह से उस संस्था के लिए काफ़ी फ़ायदेमंद होता है। एक बार जब कोई संस्था ब्रांड का आकार ले लेती है उसके बाद तो उसको विश्वसनीयता के बारे में सोचना है, ना ही उसको दर्शकों की चिंता करना है। जब भी कोई घटनाक्रम होगा तो वह पहली पसंद पर आएगा। ब्रांड होना ही अपने आप में काफ़ी कुछ कहता है। ब्रांड बनना इतना भी आसान काम नहीं है। उसके लिए लंबे समय तक क्षेत्र मे टीके रहना पड़ता है। उसके बाद ही ब्रांड की छवि प्राप्त होती है। ब्रांड बनने में दर्शकों की भूमिका अग्रणी है। अगर कहें कि ब्रांड बनने का जो सपना है कि वह दर्शकों के रास्ते ही तय होता है तो कुछ भी ग़लत नहीं है।  



We see that by doing research on the audience, many important things related to them are known, using which the mass media can make their message subtle and popular. Audience research provides a variety of insights with great comprehensiveness and depth which aids in the growth of the channel. Audience research is the only way a channel can stay competitive. This is the way through which the channel can connect with more and more people. Only through audience research, the channel can come up with new programs for the viewers. Only by this method they can increase profit.

इस तरफ़ से हम देखते हैं कि ऑडियंस के ऊपर रिसर्च करके कई ज़रूरी बातें उनसे जुड़ी पता चलती है जिसका प्रयोग करके जन माध्यम अपने संदेश को बारीक और लोकप्रिय बना सकते हैं। ऑडियंस रिसर्च कई तरह की जानकारियां बहुत समग्रता और गहराई के साथ प्रदान करती है जो चैनल के प्रगति में सहायक है। ऑडियंस रिसर्च के द्वारा ही कोई चैनल प्रतिस्पर्धा में बना रह सकता है। यह वह ज़रिया है जिसके द्वारा चैनल अधिक से अधिक लोगों को अपने साथ जोड़ सकता है। ऑडियंस रिसर्च के द्वारा ही चैनल दर्शकों के लिए नए कार्यक्रम लेकर सकता है। इस विधि से ही अपने मुनाफ़ा को बढ़ा सकता है। 

Post a Comment

0Comments
Post a Comment (0)