How evaluation of Media content is done ? मीडिया सामग्री का मूल्यांकन कैसे किया जाता है?

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How evaluation of Media content is done ?

Evaluation of media content is necessary to understand its characteristics and success. We better know that media content is prepared for the target audience. While evolution the evaluator try to judge out whether the content has become success to reach out its target audience or not. The evaluation of the content is also done to measure its success or failure. With proper evaluation, we can suggest change for betterment. In short evaluation is necessary process for upgradation. When evolution is done in scientific way, then the result is mirror of reality. The purpose of the evaluation is also to major target audience measurement, engagement and contentment. Some of the way through which we try to evaluate media content is mentioned below:- 

मीडिया विषय वस्तु का मूल्यांकन एक ज़रूरी प्रक्रिया है।इस प्रक्रिया के रास्ते ही हम किसी भी मीडिया विषय वस्तु की व्यावहारिकता और सफलता का मूल्यांकन कर पाते हैं। मूल्यांकन प्रक्रिया के द्वारा हम मीडिया की विषय वस्तु के तथ्यपरक होने की भी जाँच करते हैं। मूल्यांकन के दरम्यान ही हमें पता चलता है कि जो चीज़ सफल हो रही है वह क्यों हो रही है और अगर नहीं हो पा रही है उसके पीछे की वजह क्या है। मूल्यांकन करने में हम कई सारे नज़रिया का पालन करते हैं जिसमें लक्षित दर्शक, पाठक या श्रोता की प्रतिक्रिया को लेना एक तरीक़ा हो सकता है। 



इसके अलावा भी कई तरीक़े हैं मूल्यांकन करने की जो नीचे दिए गए हैं:-


  1. Through the audience reaction (दर्शकों की प्रतिक्रिया के आधार पर)
  2. Through the help of data (आंकड़ों के आधार पर)
  3. With the help of expert reviews(विशेषज्ञों की राय के आधार पर)
  4. Flowing the process of content analysis (विषय वस्तु के विश्लेषण के अनुसार)
  5. Through qualitative and quantitative analysis (गुणात्मक और मात्रात्मक विश्लेषण के आधार पर )
  6. The acceptability and success of message (संदेश की स्वीकार्यता और सफलता की आधार पर)
  7. Contribution in the change (बदलाव में सहभागिता)
  8. From the angle of revenue generated (कमाई के आधार पर)
  9. Through the advertisement rate (विज्ञापन दर के आधार पर )
  10. Through the production cost(लागत मूल्य के आधार पर) 





Through the audience reaction:-

Audience reaction is one of the most valid source of evaluation. Audience is considered as a last one who can give absolute judgement over the success of content. Media used to manufacture the content only for the popularity in between the audience. So audience reaction on the content is very important ruler to measure the media content. In the era of digital media, the audience reaction can be judged by their likes, comment and sharing. Basically, audience reaction is testimony through which anybody can judge the media content. 

दर्शकों की प्रतिक्रिया के आधार पर:- 

एक मीडिया के विषय वस्तु के मूल्यांकन में दर्शकों की राय काफ़ी अहम रोल रखती है।दर्शक ही वह अंतिम व्यक्ति है जो किसी भी विषय वस्तु के बारे में सटीक जानकारी दे सकती है। जब भी हम मीडिया की विषय वस्तु का मूल्यांकन करते हैं तो दर्शकों की क्रिया-प्रतिक्रिया की अहमियत काफ़ी बढ़ जाती है।मीडिया के विषय-वस्तु का दर्शकों पर कैसा असर हुआ है यह बहुत महत्व रखता है। दर्शकों के द्वारा अगर वह विषय वस्तु डिजिटल मीडिया पर हैं तो कितना पसंद किया गया है या प्रतिक्रिया व्यक्त किया गया है या फिर उसे साझा किया गया है यह सब मूल्यांकन के लिए महत्वपूर्ण बाते हैं। 





Through the help of data:- 

Data is important factor for evaluation of  the media content. The data can be found in various form. TRP data is one of the data through which we can judge the success of the content. The engagement with the media content. The positivity of the data evaluation is that it need not need further evidence. The data speaks on behalf of itself. If media evaluation is done for the digital media then data like viewership, comment, like, share and reaction are important factor for evaluation. The data gain through the various source can easily be processed to make it meaningful. With the processing of data, we can get out various results from different different angle. We can also come to know that what is the demographic profile of the audience. All this is possible through evaluation with the help of data. 

आंकड़ों के आधार पर:- 

ये आंकड़ों की भाषा ऐसी भाषा होती है जिस पर शायद ही किसी को श़क हो।मीडिया के विषय वस्तु के मूल्यांकन में हम आंकड़ों की मदद ले सकते हैं। आंकड़े हमें कई रास्तों से प्राप्त हो सकता है।टीआरपी/TRP का आंकड़ा भी मीडिया की विषय वस्तु के मूल्यांकन में काफ़ी सहायक है। इससे हम यह जान पाते हैं कि कोई भी विषय वस्तु कितना सफल हुआ है। उसे कितने लोगों ने देखा है। उसके साथ ही साथ उस पर दशकों ने कितना अपना समय दिया है। ठीक इसी प्रकार अगर मीडिया का कोई विषय वस्तु डिजिटल मीडिया पर हो तो उसके लिए भी हमें कई सारे डाटा मिल जाते हैं। ये आंकड़े काफ़ी सरल और सहज रूप से उपलब्ध हो जाता है। विषय वस्तु पर कितने लाइक्स मिले, कॉमेंट मिले, या उसे कितना साझा किया गया यह सब आंकड़े हैं जिसके आधार पर वस्तुओं का मूल्यांकन सहज हो जाता है। आंकड़ों के आधार पर विश्लेषण करके हम विषय वस्तु से जुड़ा कई नज़रिया प्राप्त कर सकते हैं।हमें यह भी पता चल जाता है कि विषय वस्तु को कहाँ से और किस  पृष्ठभूमि की लोगों ने पसंद किया है। 






With the help of expert reviews:- 

Expert review is one of the oldest way to evaluate the content of media. Through the expert review, it becomes easier to judge the media content without waiting for other sources. It is one of the instant way to judge the content. By this way of evaluation, it becomes handy to have an idea about the content. The benefit of expert review is that it not only evaluate the content but it also suggest betterment. By following all those steps we can in enhance the level of content. Experts are not an ordinary people. So whenever they used to give their judgement then their judgement contain various angle. So basically we get a holistic view point about any particular media content. This holistic viewpoint contain the positivity of the program as well as the negativity also. 

विशेषज्ञों की राय के आधार पर:-

विशेषज्ञों की राय सबसे पुराना और विश्वसनीय तरीक़ा है किसी भी विषय वस्तु को जाँचने के लिए। विशेषज्ञों की राय सबसे बड़ी बात यह है कि काफ़ी सरल और सहज तरीक़े से प्राप्त हो जाती है।विशेषज्ञों की राय काफ़ी जल्दी भी मिल जाती है।जब विशेषज्ञों की राय ली जाती है तो हमें किसी दूसरे स्रोत के लिए प्रतीक्षा नहीं करना पड़ता है।विशेषज्ञों की विशेषज्ञता से किसी भी विषय को उन्नत करने में काफ़ी सहायता मिलता है। उनकी राय में सकारात्मक के साथ ही नकारात्मक बिंदु भी शामिल होते हैं।इसके आधार पर एक समग्र दृष्टिकोण उत्पन्न होता है। जो सिर्फ़ विषय वस्तु के बारे में सटीक जानकारी देती है बल्कि उसकी कमियों को भी उजागर करती है। 






Flowing the process of content analysis:- 

Content analysis is a scientific approach to judge the quality and validity of any content. Whenever we have to judge the media content then it can be judged through comparison with other equivalent content. It is simply a comparison between two content with equal quality and treatment. Evaluation done by the content analyses is valid one and acceptable throughout the creative Circle. For example when a child score in the board exam then his or her score is compare with other student to judge its position in the society. In the same manner, media content is evaluated with the help of content analysis technique. There are other process also involved in the content analysis comparison is one of them.

विषय वस्तु के विश्लेषण के अनुसार:- 

जब मीडिया के विषय वस्तु को विश्लेषित करते हैं तो उसमें कई सारे पैमाने का प्रयोग किया जाता है। सबसे आसान और सरल तरीक़ा है कि हम उस विषय वस्तु को उससे ही मिलते-जुलते विषय वस्तु के साथ तुलना करें। इसके आधार पर हम यह निर्णय निकाल पाते हैं कि जो विषय वस्तु दिखाया गया है वह कितना वाजिब है।वह दर्शकों के बीच में कितना सफल रहा है। यह तरीक़ा काफ़ी वैज्ञानिक पद्धति है और रचनात्मक जगत में इसे स्वीकार भी किया जाता है। उदाहरण से समझें तो बोर्ड में कोई बच्चा अगर कोई प्रतिशत प्राप्त करता है तो उसकी सफलता को मापने के लिए हम उसकी तुलना पड़ोस की किसी बच्चे से करते हैं। ठीक इसी प्रकार विषय वस्तु विश्लेषण के आधार पर हम किसी निष्कर्ष और निर्णय तक पहुँचते हैं। 





Through qualitative and quantitative analysis:- 

Qualitative and quantity analysis is way of scientific research. Qualitative way is to judge the quality of the media content. Quantitative way is to just the quantity of the media content. When some creativity is being done, then it has two dimension which is very popular. One is related to quality and another is related to quantity. The quality hear mean in the message of the content, in the visualisation and presentation of the content.  Quantity here mean like the sum of money that is involved, time that is involved, the duration of the content, length of content etc. All these can we just through qualitative and quantity analyses. It means that both the dimension of content can be easily judge through this way. People related with quality they can judge their work as well as people related with quantity. They can also judge their work. in totality, both the aspect can be analysed through this process. 

गुणात्मक और मात्रात्मक विश्लेषण के आधार पर:- 

गुणात्मक और मात्रात्मक विश्लेषक एक वैज्ञानिक मुल्यांकन का आधार है।गुणात्मक विश्लेषण करके हम किसी भी विषय वस्तु की गुण  का पता करते हैं।मात्रात्मक विश्लेषण करके हम भी किसी भी विषय वस्तु की मात्रा की पता करते हैं। अगर इसे सरल शब्दों में समझे तो अगर किसी विषय वस्तु को दस लोगों ने देखा है और वह बहुत ख़ुश हुए हैं उन्हें सकारात्मक सोच मिली है तो यह गुणात्मक परिवर्तन है। यहाँ अगर विषय वस्तु को दस लोगों ने देखा है तो यह दस मात्रा का प्रतीक है। किसी भी रचनात्मक कृत के दो पक्ष माने जाते हैं। एक गुणात्मक और दूसरा मात्रात्मक गुणात्मक और मात्रात्मक विश्लेषण के द्वारा हम दोनों ही पक्षों का अच्छे से मूल्यांकन कर पाते हैं।इसलिए ही यह तरीक़ा ख़ास है और सबसे अलग है। ध्यान देने वाली बात यह है कि इसको अंजाम देने के लिए विषय पर पकड़ होना चाहिए और अच्छा ख़ासा अनुभव भी होना चाहिए। 






The acceptability and success of message:- 

When the message is received by the larger audience and they accept the message as it is then it represent the success of the content. While evolution of the content acceptability of message is an important factor. More, the people who used to accept the message more the level of success of message. It means acceptability is directly proportional to the success. Now the question here arises that how we can just that people have accepted the message. Of course this we can judge through audience reaction. The audience feedback is the way through which we can judge the acceptability and success of a message. On the digital platform, observing the number of likes, views, comment we can judge the acceptability of content. 

संदेश की स्वीकार्यता और सफलता की आधार पर:- 

संदेश की स्वीकार्यता के आधार पर भी हम विषय वस्तु का मूल्यांकन आसानी से कर सकते हैं। अगर विषयवस्तु बहुसंख्यक लोगों के बीच में पहुँचा है और लोगों ने उसे स्वीकार किया है तो इसमें कोई श़क नहीं कि वह विषयवस्तु सफल है। अगर कोई विषय वस्तु डिजिटल मीडिया पर उपलब्ध है और वहाँ पर लोगों ने ख़ूब उस विषय वस्तु पर अपनी पसंद ज़ाहिर की है, या प्रतिक्रिया व्यक्त किया है, साझा किया है इसका मतलब है कि वह मैसेज स्वीकार किया गया है और उसे लोगों ने पसंद किया है। यह विषय वस्तु के मूल्यांकन का वह तरीक़ा है जिससे हम किसी भी विषय वस्तु के सफलता का आकलन कर सकते है। जितना ज़्यादा संख्या में लोग उस विषय वस्तु पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं यह समझा जाना चाहिए कि वह विषय वस्तु उतना ही ज़्यादा सफल हुआ है।





Contribution in the change:- 

Whenever some content has some factor of appeal, then we can judge the success of that message through the turnover rate of people on the basis of that appeal. It means evaluation of content can be done easily on the basis of the change by that particular content. We have witnessed that in the time of corona, various people were appealing for some action from the people. In return the change that was brought by all those message can be easily evaluated through the way people reacted on it. It means the change they accepted in their life related to the appeal. Change is a very big thing. So media content mean for it, and whenever it contributes for the positive change, then of course it has reached its destiny. 

बदलाव में सहभागिता:- 

हमें ख़ुद पता है कि मीडिया की विषय वस्तु का एक उद्देश्य यह भी है कि वह समाज में सकारात्मक बदलाव लाए। इसलिए जब भी हम मीडिया के विषय वस्तु का मूल्यांकन करते हैं तो एक नज़रिया हमारा यह भी बन पड़ता है कि वह विषय वस्तु समाज में बदलाव का कितना आधार रहा है। हम इस बात से बेहतर वाक़िफ़ है कि करोना के समय कई हस्तियों ने मीडिया में अपील ज़ाहिर की कि लोगों को अपने जीवन में क्या बदलाव करना चाहिए। अब जब हम मीडिया का मूल्यांकन करेंगे तो यह देखेंगे कि क्या उन संदेशों का असर लोगों के जीवन में आए बदलाव से है अगर अगर हाँ तो यह अच्छी बात है और अगर नहीं तो फिर हम मानेंगे कि वह विषयवस्तु मूल्यांकन के आधार पर कम अंक पाता है। 






From the angle of revenue generated:- 

In simple way, this is the way to judge the success of media content through the output. This output is nothing but in the sense of revenue it created. More the number of revenue, it has created more the level of success. This is an market way of evolution. But this is very popular way to judge the success of the content. We have seen that some media content did not become so popular in the people, but they were able to generate a good sum of revenue. So at the end of the day we conclude that this has done well. So this angle is an economic angle to evaluate any media content. 

कमाई के आधार पर:- 

मुल्यांकन का यह तरीक़ा कमाई के आधार पर तय करता है कि मीडिया का कोई विषय वस्तु कितना सफल हुआ है। अगर कोई मीडिया का विषय वस्तु अच्छी-ख़ासी कमाई कर लेता है तो हम यह मानते हैं कि वह सफल रहा है। ठीक इसी प्रकार अगर कोई मीडिया का विषय वस्तु कमाई करने में नाकाम रहा है तो हम यह मानते हैं कि वह विषयवस्तु असफल हुआ।जिसे हम फ्लाप भी कहते हैं। यह मूल्यांकन करने का विशुद्ध रूप से बाज़ारी तरीक़ा है जो पैसे के आधार पर चीज़ों को मापता है। लेकिन यह काफ़ी प्रचलित तरीक़ा है। 






Through the advertisement rate:- 

Whenever some program is telecasted on the TV or some OTT platform. Then the advertisement rate has a meaning to judge the success of the program. More the rate of the advertisement in between the program more the level of success of that program. So advertisement rate has to do with the success of the media content. When somebody is evaluating the media content, then he is very careful about the rate of advertisement that the advertiser has paid to that media content manufacture or to the channel. It is very easier and popular way to judge the success of any media content.  

विज्ञापन दर के आधार पर:- 

किसी भी कार्यक्रम के बीच में चलने वाले विज्ञापन के दर यह बताने के लिए काफ़ी है कि वह कार्यक्रम कितना लोकप्रिय हैं। अगर विज्ञापन दर काफ़ी ऊँचा है तो इसका मतलब सीधा है कि वह कार्यक्रम काफ़ी लोकप्रिय है। ठीक इसी प्रकार अगर विज्ञापन दर काफ़ी कम है तो इसका मतलब यह है कि वह कार्यक्रम लोकप्रियता के मापदंड पर कम है। अगर हम मीडिया के विषय वस्तु का विश्लेषण करें तो उसमें विज्ञापन दर एक आधार बन जाता है जिसके आधार पर आसानी से हम इस बात का पता कर सकते हैं कि कोई विषय वस्तु कितना सफल है। यह आधार भी आर्थिक आधार पर सफलता और असफलता के बीच में अंतर करता है। लेकिन इसमें कोई श़क नहीं है कि यह तरीक़ा भी काफ़ी लोकप्रिय है और साथ ही साथ पुराना भी।





Through the production cost:- 

The production cost is nothing but the investment that is done for the manufacturing of the program. If the production cost is high and returning is low then of course we can say that that problem has not been success so much as was expected excepted. But if the production cost is low and the return is high then automatically we can judge the success of the program. So while evaluating the media content, the cost of production is an important parameter on which we can judge the success and failure of the program. Of course this is one of the market way to judge the success and failure of any media content. 

लागत मूल्य के आधार पर:- 

किसी भी कार्यक्रम को बनाने में लागत मूल कितना लगा है और उससे वापस कितना प्राप्त हुआ है। उसके बीच में जो अंतर है वह किसी भी कार्यक्रम के सफलता और असफलता के बारे में आसानी से जानकारी दे देता है। अगर लागत मूल्य के अनुसार प्राप्त मूल कम है तो हम यह आसानी से कह सकते हैं कि कार्यक्रम सफल नहीं रहा यानी मीडिया कंटेंट असफल रहा है। ठीक इसी प्रकार से अगर लागत मूल्य वनिस्पत प्राप्त मूल अधिक है तो हम यह आसानी से कह सकते हैं कि कार्यक्रम काफ़ी सफल रहा है। विषय वस्तु के मूल्यांकन का यह तरीक़ा विशुद्ध रूप से बाज़ारी है लेकिन इसमें कोई श़क नहीं है कि यह बहूत ही व्यावहारिक तरीक़ा है। इसके आधार पर ही हम भविष्य में कितना किस कार्यक्रम लगा सकते हैं या यह होता है।





In conclusion, we can say that evaluating media content is scientific process through which we reach out to any judgement. There are the various ways through which we can evaluate any media content. There are the parameters which works as a scale to judge the success or failure of media content. One thing that is very important is that while applying all this scale we have to be very precarious. Otherwise we can make mistake!

अंत में हम यह कह सकते हैं की मीडिया के विषय वस्तु को आंकने का काफ़ी तरीक़ा मौजूद है।हर तरीक़े के अपने नफ़ा और कमियां है। ज़रूरत यह है कि हम जो तरीक़ा अपना रहे हैं वह सही तरीक़े से लागू किया गया हो। वरना परिणाम में गड़बड़ी हो सकती है। 

  

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