What are the important points for criticising the electronic media? इलेक्ट्रॉनिक चैनल के आलोचना किस आधार पर कर सकते है ?

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What are the important points for criticising the electronic media? 

इलेक्ट्रॉनिक चैनल के आलोचना किस  आधार पर कर सकते है ?





Whenever we talk about Mass Communication then electronic media is the form through which anybody can do Mass Communication. Electronic media is one of the latest and sophisticated form of medium. The content which is aired over electronic media becomes very much popular in a short span of time. The immersive nature and the entertaining nature of electronic media makes it stand alone media. Of course to start and run electronic media, it needs large sum of money. Definitely there are the people who has a command over the content. They are active on the electronic media. So this particular platform is full of content which is of various nature. It means that here anybody can get news related content, entertainment related content and infotainment related content. If any medium is so enrich, so vibrant, so diverse, then of course of course there will be criticism on various level also. Below are some of the points on the basis of which electronic media can be criticised.


जब हम जनसंचार की बात करते हैं तब इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की चर्चा होती है। इलेक्ट्रोनिक मीडिया वह साधन है जो सबसे उन्नत है।बहुसंख्यक आबादी तक पहुँचने का यह ज़रिया सबसे आकर्षक और सबसे ताक़तवर है।इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की यह ख़ूबी ही उसे दूसरे माध्यमों से काफ़ी अलग-थलग करता है।इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर विषय वस्तु की भरमार है। यह विषयवस्तु मनोरंजन के लिए हैं सूचना के लिए हैं और दूसरी भी इनके मक़सद है। कुल मिलाकर  अगर हम कहें तो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया सूचना और जनसंपर्क के लिए एक वरदान है। इसमें कोई दो राय नहीं है। सवाल अब यहाँ पर यह उठता है कि जिस माध्यम के पास इतनी ताक़त और ज़िम्मेदारी होगी तो स्वाभाविक बन जाता है कि उसमें कुछ ऐसे तत्व भी होंगे जिनके आधार पर आलोचना किया जा सके। 



अगर हम इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की आलोचना की बात करें तो वह निम्न आधारों पर किया जा सकता है- 


  • Electronic media never report about self (इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ख़ुद के बारे में ख़बर नहीं दिखाती है) 
  • TRP is an important factor for them(इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए TRP मानक बन चुका है)
  • Electronic media lacks researched content(शोध परक विषय वस्तु की कमी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर है)
  • Sometimes in electronic media provides news without crosschecking(कई बार इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर ख़बरों को बिना जाँचे परखे पेश कर दिया जाता है)
  • Electronic media promotes sensationalism(इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर आरोप लगता है कि यह सनसनी को बढ़ावा देता)
  • Electronic media represent particular section of society(एक वर्ग विशेष को ही इलेक्ट्रॉनिक मीडिया जगह देता है)
  • Lack of coverage(राष्ट्रीय चैनलों के अधीन पूरा राष्ट्र नहीं आता)






Electronic media never report about self-

The problem with the electronic media is this that they never report about themselves. One channel does not report what is going wrong with other channel. We get the news related to the electronic media in alternate media but the main stream media used to not show news related to electronic media. It means that they claim to give you news and information related to all development in every sector, but they hide the news about themselves. There is complete blanket ban over the news about electronic channel. Hardly people have any knowledge about any negativity, that is happening in the electronic channel. Even people used to not get the positive news also.  

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ख़ुद के बारे में ख़बर नहीं दिखाती है- 

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ख़ुद के बारे में कभी नहीं बताती है।शायद ही कभी यह मुमकिन हो कि आप एक चैनल पर दूसरे चैनल के बारे में ख़बरें देखें। वहाँ क्या गड़बड़ी हो रही है या आपको पता चले।हो सकता है कि आप अन्य स्रोतों से कोई जानकारी हासिल करें।लेकिन इलेक्ट्रॉनिक चैनल कभी दूसरे चैनल के बारे में जानकारी मुहैया नहीं कराते हैं कि वहाँ चल क्या रहा है। अच्छा चल रहा है या फिर कुछ गड़बड़ झाला हो रहा है। यह कमी साफ़ तौर पर महसूस की जाती है की इलेक्ट्रॉनिक मीडिया यह दावा करती है कि वह देश-जहाँ की ख़बरें आपके बीच लेकर आती है लेकिन अपने ही बारे में वह पूर्णता चुप होती है। 





TRP is an important factor for them:- 

TRP has become important factor for the electronic media. They use to decide about the content from the TRP angle. Sometime it is being observed that due to this particular factor they used to compromise from the quality of the content. This is done only to get a good TRP. It means that hardly it matter what is the quality of content is if it scores good TRP. What audience likes and what is good for the audience there is differentiation between both the position. So the people who are responsible one they will decide what is good for the audience. But the TRP says that the program which the audience like is good for the channel. This is the reason due to which violence, nudity and sensationalism like programme has increased on television channel. They used to get pressure from the TRP to a score well in that chart. Only then they will get a good sum of advertisement and they can fix the rate of advertisement according to their will. No doubt TRP syndrome is a big problem for electronic channel. 

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए TRP मानक बन चुका है:- 

TRP एक ऐसा मसला है जिसका पालन हर चैनल करता है यह मानक यह तय करता है कि किसी चैनल का कोई कार्यक्रम कितना हिट या कितना फ़्लॉप हुआ है। इसके आधार पर ही उस चैनल को विज्ञापन मिलते हैं और वह चैनल विज्ञापन के दर भी इसके आधार पर ही तय करता है। दिक़्क़त यहाँ पर यह है कि TRP हमेशा उस तरह के कार्यक्रम पर ज़ोर देता है जो कि लोकप्रिय हो लोग उसको देखें। सवाल यहाँ पर यही है की जनता की चाहत किया है और जनता के हित में क्या है दोनों में फ़र्क है। मीडिया में जो लोग हैं उन्हें यह तय करना चाहिए कि जनता के हित में कौन सा कार्यक्रम है भले ही वह TRP पर रेट करें या नहीं। क्योंकि हम जानते हैं कि मीडिया का जन सरोकारिता  का भी एक कर्तव्य है जिससे वह चूक रहा है। ऐसा नहीं है कि मीडिया के लोगों को इसकी जानकारी नहीं है बल्कि कही कही वह इससे समझौता कर बैठे हैं केवल TRP के दबाव में। 





Electronic media lacks researched content:- 

The electronic media or in very hurry. They believe in breaking. Due to this and other reason, it lacks research based content. Especially the Indian media, they copied content format from the West. Due to lack of research electronic media lacks  new and innovative content. Research is the backbone of creativity. In the lack of proper research, the new angle to any subject will not be created. So doing research is a positivity which the electronic media should apply. But it needs expertise, fund and time which the electronic media is not prepared to invest. Lack of proper research based content is a big challenge in front of electronic media. 

शोध परक विषय वस्तु की कमी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर है:- 

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर शोध परक कार्यक्रमों की काफ़ी कमी है। शोध में वह ताक़त है जो किसी भी विषय वस्तु को धार दे सकता है।शोध के अभाव में कोई भी विषय वस्तु मात्र पहले जैसा ही प्रतीत होता है।शोध से हम कार्यक्रम के गुणवत्ता और उसके प्रस्तुति में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। यह शोध की ताक़त है जो पश्चिम के मुल्कों में कार्यक्रमों की विभिन्न रूपरेखा लेकर आती है। ऐसा देखा गया है कि हमारे देश में सीधा-सीधा उन्हीं कार्यक्रम का नक़ल करते हुए हैं हम कार्यक्रम बना के प्रस्तुत कर देते हैं। यह शोध की कमी है जो हमें कुछ नया करने से सोचने से रोकती है।  





Sometimes electronic media provides news without crosschecking- 

Electronic media are in very hurry due to which it fails to cross check each and every thing from various view point. This is the reason due to which sometimes it happens that the people are hit with misinformation, disinformation or propaganda. When the news are provided without proper crosschecking, then the risk factor is very high. It will provide a biased form of information to the viewer. Ultimately this is not good. In principle it is unethical process. So acting in a responsible manner towards the society is very important for the electronic channel. They should crosscheck each and every content in through way without fail before telecasting. 

कई बार इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर ख़बरों को बिना जाँचे परखे पेश कर दिया जाता है:- 

ऐसा देखा गया है कि जल्दबाज़ी के कारण इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर कई बार ख़बरों को बिना जाँचे परखे प्रस्तुत कर दिया जाता है। ऐसी स्थिति में आम लोगों को वह ख़बरें मिलती है जो सही नहीं होती है। इन आधी-अधूरी ख़बरों को प्राप्त कर के वह किसी निष्कर्ष तक पहुँच पाने में बिलकुल ही नाकामयाब होते हैं। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का दायित्व बनता है कि वह किसी भी ख़बरों को प्रस्तुत करने से पहले पूरी तरह से जाँच-परख लें तथा उसमें अगर कोई तथ्य अधूरा है या ग़लत है तो उसे ठीक कर दें। यह नीतिगत भी है और ज़रूरी भी। 





Electronic media promotes sensationalism:- 

There is allegation over the electronic media that electronic media used to promote the content which is sensational one. Sensation is something which is good for the entertainment, but bad for the mind. If entertainment channel gives the sensational content, then for a time being it can be accepted but what if there is the news channel is behind the sensationalism then no one can see what will happen. Nowadays some quarter of news channel are promoting the sensational content. The sole motto of this type of content are to get the good TRP and program hit. But the long-time effect on the morale of public are not good due to this type of content. So sensational content over the news channel is of course a not good practice. 

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर आरोप लगता है कि यह सनसनी को बढ़ावा देता:- 

अक्सर देखा गया है कि इलेक्ट्रॉनिक चैनल पर जो कार्यक्रम दिखाए जाते हैं उस पर सनसनीखेज़ कार्यक्रमों की भरमार होती है। जो बातें बहुत ही सीधी सरल तरीक़े से कही जा सकती है उसे भी काफ़ी नमक-मिर्च लगाकर कहा जाता है। जो ख़बर मिनटों में दिखना चाहिए वो घंटों चलती है और जो ख़बरें घंटो चलना चाहिए मिनटों में ख़त्म हो जाती है। सनसनीखेज़ ख़बरें देखकर जनता रोमांचित होती है आनंदित होती है पर उससे कोई वैचारिक परिवर्तन होता नहीं दिखता है।





Electronic media represent particular section of society:- 

There has been allegation over the electronic channels that it represent only upper middle class and upper-class. Hardly it cover the issue of the lower class or lower middle class. The reason behind this is that the lower middle class or the lower class are not consumers, plus they have not enough money with them to purchase product and circulate the market. The media shows the content which promotes advertisement and the brand. So whenever they used to present the program, then all the program are based upon the upper middle class and upper-class. The allegation are on media that they promote the cause of this section only and even on the basis of religion they promote the cause of majority people. They overlook the issues of minority people our community. 

एक वर्ग विशेष को ही इलेक्ट्रॉनिक मीडिया जगह देता है:- 

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के साथ एक बड़ी समस्या यह है कि वह पूरे वर्ग का प्रतिनिधित्व नहीं करती है। वह उन्हीं कार्यक्रमों को दिखाती है जो की मध्यम वर्ग और उच्च वर्ग से जुड़े होते हैं। इसके पीछे वजह सीधा और सरल यह है कि निम्न वर्ग उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है उनके पास इतने पैसे नहीं होते हैं कि वह बड़े ब्रांड के उत्पाद ख़रीद सके और मीडिया पर ज़्यादातर विज्ञापन बड़े ब्रांड का दिखाया जाता है जिस वजह से मीडिया पूरी तरह से निम्न वर्ग से जुड़ी समस्याओं और मुद्दे को ख़ारिज करती है। यहाँ तक देखा गया है कि मीडिया पर अल्पसंख्यक वर्ग के हितों की भी अनदेखी की जाती है। उनसे जुड़े मुद्दे और विषय को भी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया समय नहीं देती है। ज़्यादातर विषय और मुद्दे बहुसंख्यक वर्ग से जुड़ा होते है। 





Lack of coverage:- 

Each and every channel that is run from the Delhi and NCR, they proclaims to be the national channel. If you will observe the content of these so called national channel, then you will observe that they did not show the content from Southern states and north-eastern state. Most of the content or based from Delhi NCR, Mumbai or Hindi heartland. In this sense, it can be said that the so-called national channel or not national in real sense. They lacks complete coverage of all India. In such sense it cannot be, excepted that they represent the whole mass of country. 

राष्ट्रीय चैनलों के अधीन पूरा राष्ट्र नहीं आता:- 

दिल्ली से प्रसारित होने वाला हर चैनल ख़ुद को राष्ट्रीय चैनल होने का दावा करता है। लेकिन आप देखेंगे कि उस पर महीनों बीत जाता है पर कोई भी कार्यक्रम दक्षिण भारत या पूर्वोत्तर भारत से जुड़ा होता है। ऐसे हालात में यह कैसे माना जा सकता है कि कोई चैनल राष्ट्रीय है। तथाकथित राष्ट्रीय चैनलों का कार्यक्रम ज़्यादातर दिल्ली एनसीआर/NCR, मुंबई या अन्य महानगरों से जुड़ा होता है या फिर हिंदी पट्टी से जुड़े कार्यक्रम दिखाए जाते है। ऐसे में पूरा देश का प्रतिनिधित्व करता हुआ चैनल नहीं दिखता है। लोगों की अपेक्षाएं अगर राष्ट्रीय चैनलों से हैं तो सीधा और सरल है कि राष्ट्रीय चैनल पूरे देश के लोगों की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरता है। 





At the end of this discussion, we can conclude that criticism is a necessary part through which we can show the mirror to the electronic channel. With the proper criticism, we can pinpoint the negativity that is prevailing in the electronic channel. Only this way we can make them more answerable to the people, society as well as country as a whole. This is the way through which we can change the discourse to have an output from people point of view.

अंत में निष्कर्ष के तौर पर यह कहा जा सकता है कि राष्ट्रीय चैनलों की आलोचना ज़रूरी हो जाती है अगर उसकी जन सरोकारिता को निश्चित करना है। आलोचना ही वाह आधार है जिसके आधार पर हम इलेक्ट्रॉनिक चैनलों को आइना दिखा सकते हैं और वस्तु स्थिति से अवगत करा सकते हैं। बिना आलोचना के इलेक्ट्रॉनिक चैनल निरंकुश हो जाएंगे और उन्हें इस बात का भान ही नहीं रहेगा कि क्या सही है और क्या ग़लत है। उन्हें सही और ग़लत के बारे में पता चलता रहे इसके लिए आलोचना होना ज़रूरी है। 



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