What are the stages of research? शोध के कौन-कौन से चरण होते है?

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What are the stages of research? 

शोध के कौन-कौन से चरण होते है? 

जब भी हम शोध के चरण के बारे में बात करते हैं तो इसका मतलब सीधा-सीधा है कि हम किसी शोध को अंजाम तक कैसे  लेके जा सकते हैं।अनुसन्धान एक वैज्ञानिक पद्धति है जो किसी भी तरह से नहीं किया जा सकता है। इसके लिए कुछ ख़ास गाइडलाइन है जो कि पालन करना होता है। शोध एक विशेष वैज्ञानिक पद्धति है जिसका पालन करते हुए कोई भी शोधार्थी किसी परिणाम आसानी से पहुँच सकता है हर चरण के अपने मायने हैं और उनका अनुप्रयोग एक समग्र अनुसंधान के लिए ज़रूरी है। सारे चरणों का पालन आवश्यक बन जाता है। ऐसा होता है कि अलग अलग अनुसंधान में चरणों में कुछ फेरबदल हो सकता है। लेकिन जो मूलभूत चरण है वह लगभग एक जैसे ही हैं। नीचे विस्तार से शोध चरण के बारे में बताया गया है।   

The stages of research is scientific way to perform research work. Each and every step has a meaning. To complete the research each and every steps become very important. Depend upon the research area. The stages can fluctuate. But the most important thing is that each and every step is scientific one. So following each and every step become crucial to reach out research result with scientific validity. Each and every step is connecting link between the next and previous step. So while doing the research researcher has to be very serious to follow each and every step. Once research is concluded through following each and every step seriously, then it is sure to bring some positive outcome which will help researchers to reach out any conclusion. 



Following are the steps of any research-




  1. Selection of Research topic/ Identifying research problem(शोध विषय का चयन/अनुसंधान समस्या की पहचान)
  2. Introduction of the topic/Problem(विषय/समस्या का परिचय)
  3. Literature review(साहित्य पुनरावलोकन)
  4. Formulation of Hypothesis(परिकल्पना का निरूपण) 
  5. Research Methodology(अनुसंधान क्रियाविधि) 
  6. Collection of Data(डेटा का संग्रहण)
  7. Analysing data(डाटा विश्लेषण) 
  8. Drawing conclusions(निष्कर्ष निकालना)
  9. Suggestion(सुझाव)
  10. Dissemination findings(प्रचार-प्रसार) 





Selection of Research topic/ Identifying research problem- 

A selection of research topic is very important stage to start the research. This is the beginning and first step to enter into research area. One thing that is very important that the topics is selected on the basis of preference and liking of researcher. Only then he will involve himself in the research. He will take interest in each and every part of research. It is not like that somebody has suggested the topic and the researcher has start working on it. Then in future it will create problem for the researcher. Next important factor while choosing the research topic is that ability of resources. The topic should be selected on the basis of ability of data related to that topic and also ability of time so that researcher can do justice while doing the research. The selection of topic is also called identifying  research problem. It means that the researcher used to select any problem related to any sector and then after he is going to do research to find out solution of the problem. 

शोध विषय का चयन/अनुसंधान समस्या की पहचान- 

विषय का चयन किसी भी शोध को शुरुआत करने का सबसे प्रारम्भिक स्तर है। एक बार जब विषय का चुनाव शोधार्थी कर लेता है तभी वह शोध की दिशा में अग्रसर होता है। ध्यान देने वाली बात यह है कि विषय को चुनने से पहले शोधार्थी को अपनी पसंद और नापसंद के बारे में ख़याल रखना चाहिए। ऐसा हो कि शोध विषय किसी और ने बता दिया है और शोधार्थी उसे ले लिया है। अगर इस आधार पर शोधार्थी विषय का चुनाव करें तो भविष्य में उसे शोध करने में दिक़्क़त सकती है। दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि विषय के चुनाव से पहले शोधार्थी को यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए इस शोध विषय से जुड़ा हुआ विषय वस्तु उपलब्ध है। नहीं तो आगे चलते शोध कार्य पूरा नहीं हो पाएगा।अगली महत्वपूर्ण बात यह है कि शोध के लिए जितना समय चाहिए शोधार्थी उतना समय दे सकता है। साथ ही जितना संसाधन यानी की ख़र्च होगा वह भी वाहन कर सकता है। इस आधार पर ही शोधार्थी को शोध विषय का चयन करना चाहिए। इसी चयन को अनुसंधान समस्या की पहचान भी कहा जाता है यानी की शोधार्थी किसी क्षेत्र से किसी समस्या का चुनाव करता है और अपने शोध के द्वारा उस समस्या का हल खोजने की तलाश करता है। 





Introduction of the topic/Problem- 

The next important step related to the research is that describing the topic. Introducing the problem. The researcher has to describe why he had chosen that particular topic or problem. What will be it outcome for the common people. How he feel that this particular topic will contribute for the development of the society. How he feels that the topic which he has selected will contribute in the field of knowledge. What are its its assumptions related to the problem. How far he is going to do justice with with the topic. So this is the stage when the researcher used to give complete introduction about the topic. What was his own motivation to select this topic. How far he is interested to work with this topic. These are some of the point which becomes essential while introducing the topic or the problem which is going to solve after the research.

विषय/समस्या का परिचय- 

समस्या का परिचय एक अनिवार्य अंग बन जाता है।शोध के दौरान एक बार जब आप विषय की चुनाव कर लेते हैं तो विषय से संबंधित तमाम जानकारी आप तैयार करना चाहते हैं जिससे की बाद में जो आपकी रिसर्च को पढ़े उसे पूरा पता चले कि आपने वह विषय क्यों लिया। उसके पीछे क्या मक़सद था। कहाँ से आपको प्रेरणा मिली उस विषय के चुनाव करने के लिए। आप जो शोध करेंगे उससे समाज को कैसे सहायता मिलेगी उस समस्या से निजात पाने में। आपको कैसे लगता है कि आप उस समस्या या विषय के साथ शोध के दौरान न्याय कर पाएंगे। ये सब कुछ बातें हैं जो शोधार्थी को विषय के परिचय में बताना होता है इससे उसे भी फ़ायदा होता है और उन तमाम लोगों को फ़ायदा होता है जो उसके शोध से होकर गुज़रेंगे। 




Literature review- 

Literature review become very important part of the research. In fact it is one of the most important part of the research. The literature review helps the researcher to judge the knowledge gap in the topic. Literature review is the way to go through the various literature related to the topic. It is to have a first hand knowledge related to the topic. It gives the knowledge about the work that has already been done related to this topic. In the literature review, the researchers used to go through the books, magazines, periodical, audio, video, monuments, film, documentary, and all the important source of information which is related to the topic or problem. In this way, this is one of the thorough study related to the subject, the researcher has selected. Literature review basically guides the researcher to pinpoint the dark area where he has to focus.

साहित्य पुनरावलोकन- 

किसी भी शोध का साहित्य पुनरावलोकन जान है।साहित्य पुनरावलोकन बताता है कि  भूत में किए गये शोध में कहाँ पर कुछ रह गया है जिसे पूरा करना है। एक तरह से यह उस अंधेरे को खोजना है जहाँ पर उजाला फैलाना है। साहित्य पुनरावलोकन जब शोधार्थी करता है तो वह शोध से जुड़े हुए किताब, मैगज़ीन, ऑडियो, वीडियो, फ़िल्म सब से होकर गुज़रता है। साहित्य पुनरावलोकन विषय से जुड़े हुए तमाम पिछले किए गए कार्यों से गुज़रना होता है। इससे शोधार्थी यह जान पाता है कि उसके विषय से जुड़ा हुआ क्या काम हो चुका है और क्या काम होना बाक़ी है।अच्छे से किया गया साहित्य पुनरावलोकन शोधार्थी को भटकने से रोकता है और शोधार्थी सही दिशा की ओर अपने शोध कर ले जा पाने में सक्षम होता है।




Formulation of Hypothesis- 

Hypothesis become very important to move ahead in the research. Hypothesis is formed based upon the experience and expectation of the researcher. Hypothesis is the guideline which helps the researcher to move ahead. Hypothesis can be true or can be false. This is to say hypothesis may be correct or it can go wrong also. The purpose of the hypothesis is to make presumption or question to which researcher will find answer during the research. So hypothesis is very important. During the whole research, the researcher used to find the answer of the hypothesis itself. The hypothesis which is proven during the research become the part of outcome of the research. The hypothesis which becomes wrong were removed during the research. So conclusion has to directly do with the hypothesis. 

परिकल्पना का निरूपण- 

शोध में आगे बढ़ने के लिए परिकल्पनाओं का निर्माण काफ़ी ज़रूरी हो जाता है। परिकल्पना शोधार्थी के पूर्व अनुभव और उसकी अपेक्षाओं के आधार पर बनता है। परिकल्पना निर्माण को ही कई बार शोध प्रश्न का नाम भी दिया जाता है। परिकल्पनाओं को ही शोधार्थी पूरे शोध में जाँचता परखता है। जो परिकल्पनाएं शोध के दौरान सही पाई जाती है वह निष्कर्ष का भाग बन जाती है। जो परिकल्पनाएं शोध के दौरान ग़लत पाई जाती है वह शोध से बाहर हो जाती है। इस तरह से देखें तो परिकल्पनाएं सही या ग़लत हो सकती है। जो सही होती है वह निष्कर्ष में जाती है, जो ग़लत होती है वो बाहर जाती है। परिकल्पनाएं जितनी सटीक होगी शोध की गुणवत्ता भी उस से प्रभावित होती है।




Research Methodology-

Research methodology helps to decide through which way researcher will collect that data. Research methodology is the tool through which researcher move ahead in the research. It is the way through which the data is analyses from various viewpoint. It is the way to find the angle to the research topic. It means that research methodology is the application through which the researcher used to get different option or in another one all available option. Research methodology is topic dependent. On the demand of topic and subject, the methodology can be of various types. Two most popular form of research methodology or qualitative research methodology and qualitative research methodology. Depend upon the topic both can be used. 

अनुसंधान क्रियाविधि-

शोध प्रक्रिया वह ज़रिया है जिसके द्वारा शोधार्थी आंकड़े इकट्ठा करता है। यह प्रक्रिया है जिससे जो आंकड़े इकट्ठा किया गया है उसे संप्रेषित करके ज़रूरी परिणाम प्राप्त किया जा सके। शोध प्रक्रिया शोध के विषय को देखकर ही तय होता है। शोध प्रक्रिया विषय की माँग के आधार पर ही तय किया जाता है। दो शोध प्रक्रिया जो बहुत ही लोकप्रिय है वह गुणात्मक शोध प्रक्रिया है और मात्रात्मक शोध प्रक्रिया है।शोध की माँग के अनुसार ही दोनों का प्रयोग किया जाता है। एक शोधार्थी जो भी प्रक्रिया का प्रयोग कर रहा हैं उसकी पूरी जानकारी होनी चाहिए। 





Collection of Data- 

Data collection is the ground work through which the researcher used to collect information data later on which he will process to get the result. Data collection is tough task and with the help of correct research methodology, the researcher can collect meaningful data. The data can be in the shape of fact, figure, picture, audio, video anything which is relevant one. Survey, sampling, interview, observation are some of the method of data collection. This data will further processed to get out the conclusion in the research. The data can be in the shape of primary data or secondary data. 

डेटा का संग्रहण- 

आंकड़ों का संग्रह एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है।सही आंकड़े अनुसंधान को काफ़ी सरल और सहज बना देती है और अगर सही सही आंकड़े नहीं मिल पाते हैं तो वही अनुसंधान काफ़ी जटिल और चुनौती भरा  हो जाता है। आंकड़ों में कई चीज़ें शामिल है जिसमें तस्वीर, ऑडियो, वीडियो कुछ भी हो सकता है जिसका संबंध विषयवस्तु से है। ध्यान देने वाली बात यह है कि डाटा दो तरह के माने जाते हैं  प्राथमिक घाटा और  द्वितीय डाटा। डाटा संग्रहण फ़ील्ड वर्क है जिसमें शोधार्थी को डाटा के लिए भटकना पड़ता है। सर्वे, इंटरव्यू, ये सब कुछ विधि है जिसके द्वारा डाटा का एकत्रीकरण किया जा सकता है।





Analysing data- 

Data analysing is an interesting process. Nowadays there are lots of software which can be utilised for speedy and accurate data analyses. But one thing that is important is that only the quantitative data can be processed through the software. The qualitative data has to be processed manually by the researcher himself. So data analyses is very important step in whole research with the correct and appropriate analyses the valid conclusion can be drawn.

डाटा विश्लेषण- 

अनुसंधान के दौरान डाटा विश्लेषण का अपना ही महत्व है। सही और संतुलित डाटा विश्लेषण द्वारा शोधार्थी उपयुक्त निष्कर्ष तक पहुँचता है।अभी के समय में कई सारे सॉफ़्टवेयर ऐसे उपलब्ध है जो के डाटा विश्लेषण के कार्य को गति और सटीकता प्रदान करते हैं। ध्यान देने वाली बात यही है की डाटा विश्लेषण सॉफ़्टवेयर से केवल मात्रात्मक डाटा का ही किया जा सकता है। गुणात्मक डाटा को शोधार्थी ख़ुद ही विश्लेषण करता है। डाटा विश्लेषण के आधार पर ही शोधार्थी अपने शोध विषय का कोई निष्कर्ष प्राप्त करने में सफलता अर्जित करता है। डाटा विश्लेषण में डाटा के कई अर्थ, कई दृष्टिकोण निकालने की कोशिश होती है।साथ ही साथ डाटा का चरित्र क्या है यह भी जानने की कोशिश की जाती है।





Drawing conclusions- 

Drawing conclusion is one of the most interesting and awaiting part of the research. This is the part through which the researcher wants to get the breakthrough related to the topic. The conclusion is drawn in such a way that it is helpful for the society. It is solution driven conclusion. The conclusion should also be presented in a very simple and basic language so that any interested person get the complete idea about the outcome. The important point here is that the outcome is directly related to the hypothesis. The hypothesis which are correct during the whole research becomes the part of output. With the help of conclusion the researcher can highlight the dark area which he has come to know while literature review, they can also suggest for future related to the topic.  

निष्कर्ष निकालना-

निष्कर्ष निकालना सबसे आनंददायी और प्रतीक्षारत काम है। शोध के दौरान शोधार्थी तमाम शोध की प्रक्रियाओं का पालन करकर ही परिणाम की प्राप्ति करता है। ध्यान देने वाली बात यह है कि जो वह परिणाम प्राप्त किया है क्या वह समाज के लिए उपयोगी है या नहीं है।अगर है तो अच्छी बात है। परिणाम जो प्राप्त किया है वह सरल शब्दों में अभिव्यक्त होना चाहिए।जिससे की कोई साधारण व्यक्ति भी उस परिणाम को पढ़ें तो उसे पूरी तरह से समझ में जाए। परिणाम मैं यह भी देखना चाहिए कि जो  समस्या का चुनाव उसने विषय लेते समय किया था उसका हल परिणाम में आया है या नहीं। परिणाम के आधार पर ही सहित पुनरावलोकन में जिस अंधेरे को उसने लक्ष्य किया था क्या उसने वह परिणाम हासिल किया जो उसे अंधेरों को दूर कर सकता है। ज्ञान के क्षेत्र में जो परिणाम आया है कितना वृद्धि करता हुआ है। यह सब बातें कहीं कहीं मायने रखती है जब निष्कर्ष की बात होती है। परिणाम के आधार पर ही शोधार्थी भविष्य की ओर भी इशारा करता है।





Suggestion- 

Suggestion is the last but important part of the research. Through the suggestion which is based upon the conclusion the researcher tried to present the solution to any problem. Suggestion is based upon the whole idea and the knowledge the researcher has gained while doing the research. Suggestion helps others and the industry itself to know about do's and don't's regarding the research subject. Suggestion should be presented in the simple and plain language so that the target audience can understand easily the suggest point. Suggestion is advisory in nature which is prepared upon doing serious research work. 

सुझाव-

जब अनुसंधान अपने निष्कर्ष को प्राप्त कर लेता है तो अनुसंधानकर्ता के पास पर्याप्त जानकारी होती है जिसके आधार पर वह समाज को या किसी उद्योग के क्षेत्र को विषय से जुड़ी ज़रूरी सुझाव दे पाता है। इसमें तमाम वह कार्य होते हैं जो किया जाना चाहिए और वह कार्य भी होते हैं जिससे बचना चाहिए। सुझाव देते समय ध्यान यह रखना चाहिए कि वह सरल और सहज शब्दों में अभिव्यक्त हुआ हो। जिससे कि जिसे सुझाव दिया जा रहा है वह आसानी से उसे समझ सके।





Dissemination findings- 

Finally, the researcher shares their findings with others through publications, presentations, or other means. This helps to contribute to the existing body of knowledge and inform future research.

प्रचार-प्रसार- 

अंत में, शोधकर्ता अपने निष्कर्षों को प्रकाशनों, प्रस्तुतियों या अन्य माध्यमों से दूसरों के साथ साझा करता है। यह ज्ञान के मौजूदा निकाय में योगदान करने और भविष्य के शोध को सूचित करने में मदद करता है।





Research is an interesting thing if it is carried on in a scientific way. Research is always problem solver for the mankind. We have seen that during the corona pandemic, it was research through which the breakthrough was gained. As a result the pandemic was contained. Research always helps to find out the remedy of any problem. The only question is that how it is being carried on.

Thanku!

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कुल मिलाकर देखें तो शोध एक बहुत ही रोचक प्रक्रिया है। अगर इसे ठीक ठीक किया जाए सारे तरीक़ों को सही से प्रयोग में लाया जाए तो समाज के लिए काफ़ी महत्वपूर्ण परिणाम लेकर यह सकता है। हमें देखा है कि करोना जैसे महामारी में शोध के द्वारा ही टिका लेकर आया गया जिसके बाद इस महामारी से निजात मिला। शोध हमेशा समस्या के समाधान में मददगार होता है बस उसे सही तरीक़े से अंजाम दिया जाना चाहिए। 

धन्यवाद! 

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