What Is Media Criticism
Once the society and the people has the knowledge of media, it means that they are media literate and they have media education then, the next important step comes that is criticism of media. This criticism is not the criticism which we used to do in private conversation. The moto of this criticism is to change for betterment. Whereas in private criticism, the aim is for just to seek for sharing the facts or for enjoyment. So when the criticism is done in a professional manner, then the aim of criticism is not to pinpoint the negativity, but the aim is to find out the solution of the problem or to suggest a way how that particular negativity can be corrected. Media criticism can be done in various way. One of the popular way to criticise the media is the way the content is formed. For this only the people who has the full knowledge and idea about the media content creation they can only criticise the message or platform or the problem with the message problem with the content. So it is very clear that criticism is a task which only professional can do. You have to write, speak your critical thoughts on public platform, then no ordinary can perform this task. Only the people with strong academic background and command over language as well as understanding of the media and whole process can do it. So we can divide the criticism of media by the following head:-
एक बार जब समाज और लोगों को मीडिया का ज्ञान हो जाता है, तो इसका मतलब है कि वे मीडिया साक्षर हैं और उनके पास मीडिया शिक्षा है, अगला महत्वपूर्ण कदम आता है कि मीडिया की आलोचना। यह आलोचना वह आलोचना नहीं है जो हम निजी बातचीत में किया करते थे। इस आलोचना का मक़सद बेहतरी के लिए बदलना है। जबकि निजी आलोचना में, उद्देश्य सिर्फ तथ्यों को साझा करने या आनंद लेने के लिए होता है। जब आलोचना पेशेवर तरीके से की जाती है, तो आलोचना का उद्देश्य नकारात्मकता को इंगित करना नहीं होता है, बल्कि समस्या का समाधान खोजना होता है या उस नकारात्मकता को कैसे ठीक किया जा सकता है, इसका सुझाव देना होता है। मीडिया आलोचना विभिन्न तरीकों से की जा सकती है। मीडिया की आलोचना करने का एक लोकप्रिय तरीका यह है कि संदेश का निर्माण कैसे हुआ है उसके आधार पर आलोचना किया जाये। इसके लिए जिन लोगों को मीडिया सामग्री निर्माण के बारे में पूरी जानकारी होती है, वे ही केवल संदेश या प्लेटफ़ॉर्म द्वारा प्रस्तुत विषयवस्तु की आलोचना कर सकते हैं। यह बात बहुत स्पष्ट हो जाती है कि आलोचना एक ऐसा कार्य है जिसे केवल पेशेवर ही कर सकते हैं। जब भी आपको लिखना हो, सार्वजनिक मंच पर अपने आलोचनात्मक विचार बोलने हों, तो कोई साधारण व्यक्ति इस कार्य को नहीं कर सकता। केवल मजबूत अकादमिक पृष्ठभूमि वाले लोग और भाषा पर पकड़ के साथ-साथ मीडिया और पूरी प्रक्रिया की समझ रखने वाले ही ऐसा कर सकते हैं।
अतः हम मीडिया आलोचना को निम्न शीर्षक में विभाजित कर सकते हैं-
Critically Analyse The Message And The Medium Over Which It Is Presented
Media analyses is really a tough and challenging task. But anyhow if it is being done, then we can start from the message or the content itself. Content analysis is very long and is a very common way to critically analyse the media. We can see whether the message is printed in simple and plain manner or not. Whether the message is written in a balanced and neutral manner or not. We can also analyse the power and potential of message to reach its target group. When can check the communicative power of message. Way it impart the knowledge and information in the masses. Then another angle to analyse the message is to see in what particular medium it is presented. The message is drafted according to the medium or not. Again, we can see the characteristics of medium. Whether the medium is neutral or not. We can also critically analyse the elements in the message. When I am saying the element then it means the multimedia element. Whether the photo, the graphics, the animation or in case of electronic media sound is used in proper manner or or not. So analysing the message is a bit interesting and tough task. We can also make idea based upon the historical analysis of the medium to know why for that particular message is written as it is published or telecast on the channel. The reason behind it's nature and narrative.
मीडिया विश्लेषण वास्तव में एक कठिन और चुनौतीपूर्ण कार्य है। इसकी शुरुआत हम मैसेज या कंटेंट से कर सकते हैं। सामग्री विश्लेषण आलोचनात्मक विश्लेषण करने का एक बहुत ही सामान्य तरीका है। हम देख सकते हैं कि संदेश सरल और सादे तरीके से छपा है या नहीं। संदेश संतुलित और तटस्थ तरीके से लिखा गया है या नहीं। लक्ष्य समूह तक पहुँचने के लिए संदेश की शक्ति और क्षमता का विश्लेषण भी कर सकते हैं। संदेश की संप्रेषणीय शक्ति की जांच भी की जा सकती है। जिस तरह से वह जनता में ज्ञान और जानकारी प्रदान करता है। फिर संदेश का विश्लेषण करने के लिए एक अन्य कोण यह देखना है कि यह किस विशेष माध्यम में प्रस्तुत किया गया है। संदेश माध्यम के अनुसार तैयार किया गया है या नहीं। हम माध्यम की विशेषताएँ देख सकते हैं। माध्यम तटस्थ है या नहीं। हम संदेश में तत्वों का आलोचनात्मक विश्लेषण भी कर सकते हैं। जब मैं तत्व कह रहा हूं तो इसका मतलब मल्टीमीडिया तत्व है। फोटो, ग्राफिक्स, एनिमेशन या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में साउंड का सही तरीके से इस्तेमाल किया गया है या नहीं। इसलिए संदेश का विश्लेषण करना थोड़ा रोचक पर कठिन काम है। हम यह जानने के लिए माध्यम के ऐतिहासिक विश्लेषण के आधार पर विचार भी कर सकते हैं। जो संदेश चैनल पर दिखाया जा रहा है या अख़बारों में छपा है उसकी वजह क्या है। इसकी प्रकृति के पीछे का कारण क्या है।
Understanding the accountability of the media content.
मीडिया की जवाबदेही तय करना
This is a way another to analyse, critically analyse the media content. This is to analyse the content from people's angle. In simple way, we can see that whether the content which is on the particular channel is accountable for the people or not. We better know that the Moto of the media is to raise the voices and concern of the common people. Media is to mean poor batting for the masses. When we see the content which is written or which is telecast it for the sake of common people, then we can say that the message is presented in the desired way. But when we analysed that the message is not presented in the people friendly nature but the message seems to be a spokesman of power and authority. Then we feel that the media is deceiving the common people. So analysing the message from Pipil point of you it means that fixing the accountability of the media.
मीडिया सामग्री का आलोचनात्मक विश्लेषण करने का यह एक और तरीका है। यह लोगों के दृष्टिकोण से सामग्री का विश्लेषण करना है। सरल तरीके से हम देख सकते हैं कि चैनल पर जो सामग्री है वह लोगों के लिए जवाबदेह है या नहीं। हम बेहतर जानते हैं कि मीडिया का मकसद आम लोगों की आवाज उठाना और उनकी चिंता करना है। मीडिया का मतलब जनता के लिए लिखना, पढ़ना और बोलना है। जब हम ऐसे विषय वस्तु को देखते हैं जो आम लोगों के लिए लिखी है या प्रसारित की गई है, तो हम कह सकते हैं कि समाचार को सही तरीके से प्रस्तुत किया गया है। लेकिन जब पिछले साल में यह बात है कि संदेश को किसी ख़ास मक़सद से लिखा गया है या दिखाया जा रहा है तो हमें दर्द होता है। यह मक़सद सत्ता के पक्ष में राय बनाना हो सकता है या व्यवस्था के समर्थन करता हुआ हो सकता है। इसमें जनता का कोई भला न होते हुए गोल लग सकता है। तब हमें लगता है कि मीडिया आम लोगों को धोखा दे रहा है। जानता के नज़रिए से खबरों का विश्लेषण करना मतलब मीडिया की जवाबदेही तय करना है।
How is media is influencing society
मीडिया का प्रभाव समाज पर किस प्रकार से हो रहा है
We better know that the Moto of the media is to impact the society in a positive way. It is to bring out positive change in the society. When the media is presenting the content we can analyse whether that content produce food for thought in the society or not. Whether that particular content has the power and potential to give out the solution to the of the problem to the society. We better know that society is ill informed or sometime misinformed. The big question here is whether the media powerful enough to mitigate this problem from the society or not. The approach of the society in a scientific way is growing or not. We have to check whether the content of the media is presented for the information and knowledge purpose or for the entertainment purpose. This is also the thing which we have to look while critically analyses the nature of media.
मीडिया का एक उद्देश समाज को सकारात्मक दिशा में बदलना है। हम मीडिया के चरित्र का विश्लेषण इस आधार पर कर सकते हैं। जो ख़बर वह दिखाता है उस ख़बरों में जो दृष्टिकोण होता है उसका समाज पर कितना सकारात्मक असर पड़ेगा। क्या उस ख़बर को लोग पढ़कर, सुनकर भविष्य के प्रति आशान्वित हो पाएंगे। उस ख़बर से समाज में बदलाव की कितनी गुंजाइश है। क्या उस ख़बर से लोगों की समस्याओं का समाधान निकलेगा।जिस तरह से लोगों में सूचनाओं का अभाव है या फिर सूचनाओं को लेकर भ्रम की स्थिति है क्या मीडिया में ऐसे विषय वस्तु प्रस्तुत किए जा रहे हैं जिससे की उनकी भ्रम की स्थिति या अनिर्णय की स्थिति दूर होगी।
Critically Analyse the validity of the message
सूचना के वैधता का विश्लेषण करना
The platform are full of message. The question arises here is that who will ascertain the validity and credibility of the message. It is being observed that people blindly consume the message without having proper idea about its truthfulness, validity, and accuracy. When anybody start analysing the content over the media then he has to be serious about all these factors. Sometime it is also observed that some piece of news used to exaggerate the data or the narratives. This cannot be said as healthy practice that is done by the media. So critically analysing is a way to analyse all these mall practises. To bring this small practises in front of common people. So that the common people can decide the characteristics of the message that is presented in front of them through the various channel.
वर्तमान समय में सूचनाओं का अंबार है।इसमें कोई श़क नहीं कि सूचनाओं के निर्माण और प्रस्तुतिकरण में क्रांतिकारी रूप से परिवर्तन आया है।सवाल यहाँ पर यह बन जाता है कि इन सूचनाओं की वैधता कौन जाँच करेगा।ऐसा देखा गया है कि सूचनाओं को बढ़ा चढ़ाकर पेश किया जाता है।उन्हें कई बार ग़लत उदाहरणों के साथ दिखाया या छापा जाता है। कुल मिलाकर यह स्थिति अच्छी नहीं कही जा सकती है।मीडिया विश्लेषण का एक मक़सद यह भी है कि सूचनाओं का सही सही मूल्यांकन करना। उसमें गलतियों का कितना अंश है।उसमें सच्चाई की कितनी मात्रा है।उसमें भ्रामक तथ्य कितने हैं। इन बातों को मीडिया के ही स्तर से आम लोगों को सूचित और जागरूक करना मीडिया का लक्ष्य हो सकता है। सूचनाओं में अपार क्षमता है अगर वह सही और सटीक तरीक़े से दिखाया जाए तो क्रांतिकारी रूप से समाज में बदलाव लाने में सक्षम है। लेकिन अगर सूचनाओं को ग़लत और दिग्भ्रमित तरीक़े से दिखाया जाए तो यह भी देखा गया है कि ऐसी सूचना समाज में विद्वेष और वैमनस्य को बढ़ाने में भी अपना योगदान करते हैं। इसलिए मीडिया के चरित्र चित्रण में सूचनाओं के चरित्र का बहुत बड़ा रोल है।
Media criticism is also to accept the positivity
मीडिया की अच्छाइयों को भी स्वीकार करना
Media criticism is not only to mention the negativity of the media, but it is to also balance all those negativity with positivity. There are many instances in which we have seen that media has worked in a brilliant way. Due to the coverage done by the media the people has got the justice. The media has contributed its role in the change. The criticism of media is to also highlight all this situation when the media has worked in amazing way. Media has worked in a very brilliant way to bring out the issues which was not in the limelight. Media has set the pattern in the society. It has given meaning in the life. It is not that each and every fraction of media is working in negative way. Some section of media are working in a very responsible and accountable way. And it is the duty to accept this power and positivity of media.
जब भी हम मीडिया आलोचना की बात करते हैं तो ज़रूरी नहीं है कि हम सिर्फ़ नकारात्मक चीज़ों पर ही बात करें।मीडिया में कई ऐसी चीज़ें हो रही होती है जो काफ़ी सकारात्मक होती है। यानी कि उनका असर काफ़ी सकारात्मक हुआ है या फिर हो रहा है। आलोचना का आधार यह भी होता है कि हम नकारात्मक के साथ ही सकारात्मक चीज़ों पर भी बहस करें या उसके ऊपर भी प्रकाश डालें । इसलिए अगर कुछ अच्छा हुआ है तो हमें उसको भी महत्व देना चाहिए। हमारा कर्तव्य बनता है कि बतौर आलोचक हम उन अच्छाइयों को भी उजागर करें। कई बार ऐसा देखा गया है कि मीडिया में जो ख़बरें दिखाई जाती हैं आधार पर क्रांतिकारी रूप से परिवर्तन आता है। कई बार मीडिया किसी के साथ अन्याय होता है तो उसे न्याय दिलाने में मददगार होता है। कोई मुद्दा अगर हासिये का है तो उसे मुख्यधारा में लाने का काम भी मीडिया करता है।आलोचना में इन चीज़ों को भी शामिल करना चाहिए।
Media criticism should proposed a solution
आलोचना समाधान के साथ होना चाहिए
The criticism should not only be done for the sake of criticism. But the Moto of the criticism is to bring change. And this is only possible when its solution based criticism is there. It means that while criticising something we can also suggest some of the replacement in place of negative thing. Basically what I mean to say that what can be the best practices related to that thing. Showing the path can only bring a desired change. If we only raise our finger against something without showing the proper solution then it has no any meaning. It will not bring any change in the future. The main practises will continue as it is because they have no any knowledge about the proper replacement. So solution-based criticism is an ideal practice
आलोचना का यह मक़सद नहीं होता है कि हम सिर्फ़ बुराइयों को उजागर करें।इसका मक़सद सकारात्मक रूप से बदलाव करना होता है। जिसके लिए ज़रूरी है कि आलोचना के साथ साथ हम समाधान की भी बात करें। यानी कि अगर कोई चीज़ बुरा है तो उसकी जगह पर क्या अच्छा हो सकता था।यह एक तरह से समस्या के हल पर भी बात करना है। जो वर्तमान में स्थितियां बनी हुई है उसका हल किस दिशा की ओर लेकर जाता है। समस्याओं को की ओर इशारा करना काफ़ी आसान है मुश्किल है समाधान तलाशना।मीडिया की आलोचना समाधानों को तलाशने के लिए भी की जाती है।इसमें हम आम लोगों की भागीदारी भी सुनिश्चित करते हैं जो कि किसी विकट समस्या पर अपनी राय दे सके और उसका समाधान तलाशने में मदद कर पाए।
In conclusion, media criticism is an essential aspect of modern society. It helps to ensure that the media provides accurate and truthful information, holds media outlets accountable for their reporting, and promotes media literacy. Media criticism also plays an essential role in identifying the impact of media on society, promoting diversity and inclusion, and analyzing language and its impact on public opinion. As we continue to consume media at an unprecedented rate, media criticism will become increasingly vital in promoting a more informed and critical society
अंत में, मीडिया आलोचना आधुनिक समाज का एक अनिवार्य पहलू है। यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि मीडिया सटीक और सच्ची जानकारी प्रदान करता है, मीडिया आउटलेट्स को उनकी रिपोर्टिंग के लिए जवाबदेह रखता है, और मीडिया साक्षरता को बढ़ावा देता है। मीडिया आलोचना भी समाज पर मीडिया के प्रभाव की पहचान करने, विविधता और समावेशन को बढ़ावा देने और भाषा का विश्लेषण करने और जनता की राय पर इसके प्रभाव की पहचान करने में एक आवश्यक भूमिका निभाती है। सूचित और महत्वपूर्ण समाज को बढ़ावा देने के लिए मीडिया की आलोचना महत्वपूर्ण है।