What is content in the research?
शोध में विषयवस्तु क्या होता है?
Content is something which can be called as basics on which the outcome is derived. In this sense, content are the bricks through which structure can be build based on the demand of the topic. Content is the raw material on which the researcher used to develop the knowledge. Content give the insight to the researcher for its findings. On the basis of meaningful content only he can reach to the conclusion of research. In the absence of content, it is very tough to accomplish the research. So content is the thing which propels the research.
किसी भी शोध को अंजाम तक पहुँचाने के लिए विषय वस्तु का काफ़ी महत्व है। यह विषयवस्तु ही है जो कि शोध को आगे बढ़ाने के लिए खाद-पानी उपलब्ध कराता है। इसे समझने के लिए हम ठीक इस तरह से समझ सकते हैं कि जिस तरह ईटों को जोड़कर भवन भी बनाया जा सकता है और शौचालय भी बनाया जा सकता है ठीक उसी प्रकार विषय वस्तु को विकसित करके रिसर्च के विभिन्न आकार-प्रकार को अंजाम तक पहुंचाया जा सकता है। कुल मिलाकर विषयवस्तु आवश्यक तत्व है जिसके आधार पर ही शोध खड़ा होता है। शोध के परिणाम इस बात पर निर्भर करते हैं की विषयवस्तु क्या बता रहा है। विषय वस्तु के कथानक पर ही शोध आगे बढ़ता है। विषयवस्तु की उपलब्धता, गुणवत्ता, संपूर्णता शोध को प्रभावित करने के क्षमता रखता है।
What are types of content?
विषयवस्तु के प्रकार क्या हैं?
There can be the various type of content. Not necessarily that content is something related to books or magazine periodicals only. The content can be of various nature. It depends upon the demand of research and topic of research that what will be the content. For example, when somebody is doing research on any personality, then that individual is a content for the researcher. He will analyse the quality, trait, characteristics of that individual and he will develop the knowledge based upon that content. If the research topic is some other based on some other subject, then according to the demand of subject, the content will be of that nature. If somebody is doing research on the topic related to river, then the river will be content of a study. So we can give the following list of things as content but depend upon the demand of research topic. It can go longer.
जैसा कि नाम से ही ज़ाहिर है विषय से जुड़ा हुआ जो भी वस्तु है वह विषय वस्तु है। इसलिए विषय वस्तु के आकार-प्रकार का कोई निश्चित सीमा नहीं है। कोई ज़रूरी नहीं है कि शोधार्थी के लिए विषय वस्तु किताबें हैं या फिर अख़बार या मैगज़ीन ही है। अगर शोध का विषय नदी पर आधारित है तो विषय वस्तु पानी हो सकता है। विषय वस्तु की निर्भरता पूरी तरह से इस बात पर आश्रित है कि शोध का विषय क्या है। विषयवस्तु से जुड़े कुछ ज़रूरी बातें हैं जो विषय वस्तु की उपयोगिता के लिए ज़रूरी है। मसलन विषय वस्तु अगर आसानी से उपलब्ध है गुणवत्तापूर्ण है साथ ही हर दृष्टिकोण से सम्पूर्ण है तो विषय वस्तु निश्चित तौर पर बहुमूल्य हैं। अगर विषय वस्तु पूरा न मिले, मिले भी तो ठीक से ना हो, तो फिर ऐसे विषय वस्तु शोधार्थी के काम के नहीं। इसके कुछ प्रकार-
1.Book पुस्तक
2.Newspaper अखबार
3.Magazine पत्रिका
4.Audio ऑडियो
5.Video वीडियो
6.Documentary वृत्तचित्र
7.Film फिल्म
8.Docudrama डॉक्यूड्रामा
9. Periodical's आवधिक
10. Articles लेख
11. Photo फोटो
12. Monuments स्मारक
13. Historical evidence ऐतिहासिक साक्ष्य
14. Folksong लोकगीत
15. Traditional song पारंपरिक गीत
16. Folklore लोकगीत
17. List can be longer depend upon research topic and area. सूची अनुसंधान विषय और क्षेत्र के आधार पर लंबी हो सकती है।
What are the characteristics of content ?
विषयवस्तु की विशेषताएं क्या हैं?
- Neutral तटस्थ
- Flexible लचीला
- Available उपलब्ध
- Communicative अभिव्यक्ति
- Relatable विषय से जुड़ा हुआ
Neutral-
Each and every content is same for everybody. It is the researcher himself who used to develop this neutral content into meaningful one. So the content is intelligently process to give it a meaningful meaning. This is the neutral concept related to the content.
तटस्थ-
जो भी विषय वस्तु उपलब्ध है वह सबके लिए समान है। यह शोधकर्ता पर निर्भर है कि वह उस विषय वस्तु को कैसे विकसित करता है। उसके दृष्टिकोण पर है कि वह उसमें क्या पाता है। विषय-वस्तु अपने में तटस्थ है उसे जब हम परिष्कृत परिवर्तित परिमार्जित करते हैं तब वह कोई आकार प्रकार कोई मतलब के रूप बदलता है।
Flexible-
If the content available is flexible in nature, then that particular content is very good for the researcher. He can utilise that content in various other way. He can develop that content according to the different situation. So liquidity of content helps him to make more usable and meaningful. It is same like if somebody has hundred rupees then he can use it in different manner. But if somebody has some object which has value equal to hundred rupee, then that object can be used in the fixed manner.
लचीला-
विषय वस्तु का लचीला होना उसके अनुप्रयोग को बढ़ाता है। विषय वस्तु अगर लचीला है तो उसे हम अलग-अलग परिस्थितियों में अलग-अलग तरीक़ों से इस्तेमाल कर सकते हैं। विषय वस्तु में अगर लचीलापन नहीं है तो उसे कुछ ख़ास तरह से ही इस्तेमाल किया जा सकता है। यह ठीक इसी प्रकार से हैं जैसे कि हम सौ रुपये का नोट से अलग अलग तरीक़े से प्रयोग में ला सकते हैं।लेकिन अगर कोई वस्तु है और उसका मूल सौ रुपये के बराबर है फिर भी उसको हम उसी प्रकार से प्रयोग करेंगे जिसके लिए वह बनाया गया है।
Available-
The content which is easily available is useful for the research. The content which is not easily available due to any of the reason then it is of no use for the researcher.
उपलब्ध-
विषय वस्तु की उपलब्धता उसकी ख़ूबियों में से एक है। विषय वस्तु अगर आसानी से उपलब्ध है तो अच्छी बात है। इस तरह शोध अच्छी और आसान हो जाएगी। विषय वस्तु उपलब्धि ही नहीं है तो फिर उसके बारे में कुछ कहने का कोई मायने नहीं है। किसी ख़ास कारण से उपलब्ध नहीं है व्यवस्था उपलब्ध नहीं करवा रही है, बहुत महँगी है या सुलभ नहीं है तो भी ऐसे विषय वस्तु का शोध के लिए कोई महत्व नहीं है। उदाहरण स्वरूप साहित्य में अगर चाँद की सुंदरता पर बात हो रहे हो अब चाँद दिख रहा है पर वहाँ जहाँ पाना संभव नहीं है यानी उसकी सुंदरता का बखान मात्र उसको देखकर किया जा सकता है। विषय वस्तु की उपलब्धता सरल, सहज और संतुलित तरीक़े से होना शोध को आगे बढ़ाने में काफ़ी मददगार होता है।
Communicative-
The communicating factor of the content is very helpful for the research. It helps the researcher to draw various outcome based upon that content. It is simply that communicating with anybody who is interested to talk is always easy. Compare to the person who is least bothered to interact with other. In the same manner, if content is talkative in nature, it means that the information is radiating from the content. It is helpful for the researcher, with minimum difficulty he can develop the content in meaningful manner.
अभिव्यक्त-
विषय वस्तु का अव्यक्त होना शोधकर्ता के लिए काफ़ी सहायक होता है। काफ़ी कम मेहनत करके वह विषय वस्तु को अर्थपूर्ण स्वरूप प्रदान कर सकता है। जब आपको कोई बात पता करना हो तो आप उससे पूछते हैं जो बातचीत करने में रुचि रखता है, उससे काफ़ी जानकारी हासिल होती है लेकिन अगर आप वैसे व्यक्ति से पूछ बैठते हैं जिसे बातचीत करने में बिलकुल भी दिलचस्पी नहीं है तो आपके लिए काफ़ी दिक़्क़त हो जाती है। अगर विषय वस्तु इस प्रकार है कि उसे काफ़ी जानकारी ख़ुद-ब-ख़ुद आप को मिल जा रही है तो बहुत अच्छी बात है।
In this way, we see that the importance of content is very crucial from the viewpoint of research. The easily availability, quality, liquidity of content make it more usable. It is the content only due to which the research gets meaning.
इस प्रकार से हम देखते हैं की विषय वस्तु का शोध में काफ़ी महत्व है। इसके द्वारा ही शोध आगे बढ़ते हुए अंजाम तक पहुँच पाती है। विषय वस्तु जितना सरल होगा, आसानी से सुलभ होगा, गुण परक होगा, सम्पूर्ण मात्रा में होगा शोध उतना ही अच्छा होगा। यह विषयवस्तु ही है जो शोध को उद्देश्यपरक बनाता है।